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जाते

जाते

जिधर जाते हैं सब, जाना उधर अच्छा नहीं लगता:जावेद अख़्तर जाते पारंपारिक जाते अनुक्रमणिका १ जात्याचा इतिहास; २ स्वरूप; ३ उखळी सारखे जाते; ४ ग़ोंडांचे मातीचे जाते; ५ जात्यावरच्या ओव्या; ६ संदर्भ जाते जाते जाते वो मुझे जावेद अख़्तर - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू,

जाते जाते हैं । स्मृति कोष वहां स्थित हैं जहाँ आंतरिक मन स्थित हैं । इस प्रकार , यह ऐसा हैं

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